दस से बारह वर्ष के बच्चों की कक्षा में माताजी की क्रिया

 

    छोटे बच्चों खो फ्रेंच किस तरह सिखायी जाये?

 

सबसे अच्छा होगा बहुत सरल शब्दों और वाक्यों का प्रयोग करते हुए उन्हें कहानियां सुनाना, ताकि वे समह्म सकें (एक छोटी-सी, मजेदार या दिलचस्प कहानी), ओर  कक्षा में हीं, उन्होंने जो सुना हैं उसे लिखने के लिये कहना ।

 

   हां लेकिन बच्चे बहुत शोर मचाते हैं !

 

कम-से-कम चुप्पी तो जरूरी है । मै जानती हूं कि साधारणत: सबसे ज्यादा अधम बच्चे सबसे ज्यादा बुद्धिमान् होते हैं । लेकिन वश में अस्नेह के लिये उन्हें ऐसी प्रतिभा का दबाव अनुभव होना न्टहिये जो उनकी प्रतिभा से ज्यादा शक्तिशाली हों । और

 

 माताजी नै इसे लिखवाया था, फिर ठीक करके उन्होंने हस्ताक्षर कर दिये ।


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इसके लिये, उनके स्तर तक न उतरना जानना चाहिये, और विशेष बात यह कि हैं  जो कुछ करते हैं उससे प्रभावित नहीं होना चाहिये । वास्तव में, यह एक यौगिक समस्या है !

 

   अगर अध्यापक शांत रहे तो क्या सारी समस्याएं हल हो सकती हैं?

 

 हां, लेकिन इसके लिये सत्ता के हर अंग में पूर्ण शांति होनी चाहिये ताकि शक्ति उसके दुरा अभिव्यक्त हो सके ।

 

   (माताजी क्वे देखने के लिये बच्चों की कापियां उनके पास भेजी गयी थीं !)

 

वर्गीकरण किये बिना मैंने बच्चों की कापियों मे टिप्पणियां दी हैं । क्या वर्गीकरण बहुत जरूरी हैं? हर एक के अपने-अपने गुण हैं और उन्हें वर्ग में डालना कठिन है ।

 

(जून-जुलाई १९६०)

 

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(अध्यापक की एक का उद्धरण:) "मुझे आप पर विश्वास है और आपके कारण बच्चों पर; जहांतक मेरा सवाल हैं मैं कुछ नहीं जानता और आप हमारे लिये जो कुछ चाहती हैं उसके सिवाय कुछ नहीं कहता पक्त-एक्ट कदम करके- बस यह दिखाने की कृपा कर्कर कि क्या किया जाये और किस तरह उत्तर दिया जाये हमारा पक्ष-प्रदर्शन लीजिये और बाहरी परिस्थितियों के परिणाम चाहे कुछ मी क्यों न हरे हम अपने हृदय की गहराई मे चुपचाप आपका अनुसरण करेंगे? बच्चे केवल आपकी ''शांति'' और आपके ''प्रेम'' मे विकसित हों और खीलें हम सब मिलकर केवल पआपके लिये ही जियें । ''

 

कक्षा के, तुम्हारे, बच्चों के और मेरे बीच जो सचमुच संपर्क स्थापित होता है, निक्षय ही वही सबसे महत्त्वपूर्ण चीज हैं और उसे हर कीमत पर बनाये रखना चाहिये । लेकिन भौतिक संगठन या ढांचे की अपेक्षा वह आंतरिक वृत्ति पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं । वास्तव मे, यहीं वृत्ति सारे स्कूल मे, सभी अध्यापकों मे और सभी छात्रों मे मौजूद होनी चाहिये । इसी को प्राप्त करना चाहिये और इसी दिशा मे हमें प्रयास भी करना चाहिये ।

 

    (कक्षा काफी सुधर गयी छै अध्यापक लिखता है :)''यह सब जिसने तरह परिवर्तन ला दिया है हमारे अंदर आपके काम का परिणाम है है न? ''

 

 हां, अवश्य ।

 

 (अध्यापक यक्ष करता है कि क्या इस कक्षा में माताजी के साथ उसे जो है उसके कारण अगत्ही सतर्क मी दत्त को लेने की अपेक्षा इसी कक्षा को उसके साथ रखना ज्यादा अच्छा नहीं होगा ?)

 

बच्चों के विभिन्न चरित्र ब्योरे के जिन परिवर्तनों को आवश्यक बनाते हैं, उनके साथ यह अनुभूति सभी बच्चों पर लागू होने और उनके अनुकूल बनने के लिये पर्याप्त लचीली और नमनीय होनी चाहिये । इस तरह तुम्हें विश्वास हों सकता है कि अनुभूति चलती रहेगी । फर्क बस इतना हीं होगा कि बच्चे वह-के-वही नहीं होंगे ।

 

    (अध्यापक ने बच्चों के साथ काम के लिये दत्लें की व्यवस्था की? परिणाम ठीक ' आया और कक्षा में खूब शोर मचता अध्यापक ने पूछा कि क्या ईसा जारी रखना चाहिये !)

 

उन्हें परीक्षण जारी रखने देना चाहिये । धीरे-धीरे यह व्यवस्थित हो जायेगा । और परिणाम ज्यादा अच्छे आयेंगे ।

 

     (बहुत अच्छी तरह काम चलने के बाद बच्चों के साथ अब काम करना कठिन बन रहा?

 

    शिथिलता निस्संदेह आनेवाली छुट्टियों के कारण हैं ।

 

(अक्तूबर १९६०)

 

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